8th pay commission: केंद्र सरकार के करोड़ों कर्मचारी और पेंशनभोगी हाल ही में राज्यसभा में वित्त मंत्रालय की घोषणा के बाद निराश हो गए है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि 8वें वेतन आयोग लागु करने की कोई योजना नहीं है। इस घोषणा ने उन सभी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया जो फरवरी 2025 तक नए वेतन आयोग की घोषणा की प्रतीक्षा कर रहे थे। इस खबर से कई कर्मचारी और पेंशनभोगी निराश हो गए हैं और अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित हैं।
186% वेतन वृद्धि की संभावना
केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन में 186% वृद्धि की संभावना हाल ही में चर्चा का विषय बनी हुई है, विशेष रूप से राष्ट्रीय संयुक्त सलाहकार मशीनरी (एनसी-जेसीएम) के कर्मचारी पक्ष के सचिव शिव गोपाल मिश्रा की टिप्पणियों के बाद।
मिश्रा ने सुझाव दिया कि आगामी वेतन आयोग 2.86 के फिटमेंट फैक्टर की सिफारिश कर सकता है, जिससे कर्मचारियों के वेतन में 186% की उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। इस नए बदलाव से न्यूनतम मूल वेतन 18,000 रुपये से बढ़कर 51,480 रुपये हो जाएगा, और पेंशन में भी उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है, जिससे न्यूनतम पेंशन 9,000 रुपये से बढ़कर 25,740 रुपये हो सकती है।
केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों पर घोषणा का प्रभाव
नए वेतन आयोग की प्रतीक्षा आमतौर पर केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए बेहतर वित्तीय स्थितियों की उम्मीदें लाती है। 186% वेतन वृद्धि की अफवाह ने विशेष रूप से कई लोगों की रुचि बढ़ा दी थी, जो एक उज्जवल वित्तीय भविष्य का संकेत दे रही थी। हालांकि, वित्त मंत्रालय के बयान ने इन उम्मीदों को काफी हद तक कमजोर कर दिया है। 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन की कोई योजना न होने के कारण, कर्मचारी अपने वेतन के भविष्य और समायोजन के संभावित तंत्र के बारे में चिंतित हैं।
इस झटके के बावजूद, प्रधानमंत्री के साथ केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के परिसंघ द्वारा शुरू की गई बातचीत यह दर्शाती है कि निष्पक्ष और समय पर मुआवजा समायोजन के लिए लगातार प्रयास जारी हैं। जैसे-जैसे नए मुआवजा तंत्र के बारे में चर्चाएं आगे बढ़ रही हैं, केंद्रीय सरकारी कर्मचारी एक ऐसे समाधान की उम्मीद कर रहे हैं जो उनकी जरूरतों और समय की आर्थिक वास्तविकताओं को दर्शाता हो।